मनहूस छाया : अभिषेक कुमार

मनहूस छाया : अभिषेक कुमार

‘सुनीतिया की मां अब यहां से उठकर चली जाए।सिंदूरदान के समय लड़की पर विधवा की मनहूस छाया नहीं पड़नी चाहिए’ – पंडित जी की कड़क आवाज गूंजी।सब लोग सकते में आ गए।आखिर सुनीता अपने मां की इकलौती बेटी थी।लेकिन मां चुपचाप आंचल से आंखों को पोछते हुए विवाह मंडप से जाने लगी।...