बाजार के दबाव के बीच आम जीवन का राग-विराग : संजय कुंदन

बाजार के दबाव के बीच आम जीवन का राग-विराग : संजय कुंदन

चर्चित कहानीकार।अद्यतन कहानी संग्रह ‘श्यामलाल का अकेलापन’, उपन्यास ‘तीन ताल’।संप्रति ‘नवभारत टाइम्स’, नई दिल्ली में सहायक संपादक।   पिछले दो-तीन दशकों से हिंदी कहानी की मुख्यधारा में ऐसी कहानियों को ज्यादा महत्व मिलता रहा है, जो समाज के बड़े संकटों की शिनाख्त करती...
झंडियां : हरियश राय

झंडियां : हरियश राय

वरिष्ठ कथाकार। दो उपन्यासों ‘ नागफनी के जंगल में’ और‘ मुट्ठी में बादल’के अलावा छह  कहानी संकलन‘बर्फ होती नदी’, ‘उधर भी सहरा’,‘अंतिम पड़ाव’, ‘वजूद के लिए’,‘ सुबह- सवेरे’ व ‘किस मुकाम तक’ प्रकाशित। इस सर्द रात में पूरन ने रज़ाई से हाथ बाहर निकालकर अपने मोबाइल‍ से टाइम...
झंडियां : हरियश राय

झंडियां : हरियश राय

वरिष्ठ कथाकार। दो उपन्यासों ‘ नागफनी के जंगल में’ और‘ मुट्ठी में बादल’के अलावा छह  कहानी संकलन‘बर्फ होती नदी’, ‘उधर भी सहरा’,‘अंतिम पड़ाव’, ‘वजूद के लिए’,‘ सुबह- सवेरे’ व ‘किस मुकाम तक’ प्रकाशित। इस सर्द रात में पूरन ने रज़ाई से हाथ बाहर निकालकर अपने मोबाइल‍ से टाइम...
दलदल : हरियश राय

दलदल : हरियश राय

सुपिरिचित कथाकार। दो उपन्यासों‘नागफनी के जंगल में’और‘मुट्ठी में बादल’ के अलावा  छह  कहानी संकलन। सामयिक विषयों से संबंधित पांच अन्‍य किताबें।   ‘ओ के, बाय बाय बेटा, टेक केयर। स्‍कूल में किसी से झगड़ना नहीं। ममा शाम को आएगी, ठीक से रहना स्‍कूल में’ कहकर अंजुला...