मोड़ बहुत हैं : अनूप अशेष

मोड़ बहुत हैं : अनूप अशेष

      वरिष्ठ गीतकार।अद्यतन पुस्तक ‘सपने मरने के लिए आते हैं नींद में’। आगे जरा देख कर जानापुल टूटा हैमोड़ बहुत हैं आगेऊबड़-खाबड़नई व्यवस्था वालेपांव तुम्हारेकुछ पतले हैंचमरौंधां में फूटे छालेगड्ढों में सड़कों का आनाकब छूटा हैदेश कांपता हुआ पुलों-सारस्ते कटे...