युवा कवयित्री।एक नवगीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के दिन’।शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश में कार्यरत।साहित्यिक पत्रिका ‘अंतर्नाद’ का संपादन। सुन ओ नदी री बावरीक्यों थमी ठहरीपाप धोए और तन भीजब यहाँ तूने कोख सींची हँस धरा कीदूर तक बहकरऔर मरुथल भी संवारेरेत पर चलकर...
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