अनामिका सिंह

अनामिका सिंह

      युवा कवयित्री।एक नवगीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के दिन’। गजल भीगी आंखें, आंतें खाली, क्या कहना है सब चंगादिन धूसर हैं रातें काली क्या कहना है सब चंगा बूढ़ा बरगद, चलती आरी, देख परिंदे हैरां हैंसदमे से फिर कांपी डाली, क्या कहना है सब चंगा बिटिया अम्मा ताई...
सुन, ओ नदी री बावरी : अनामिका सिंह

सुन, ओ नदी री बावरी : अनामिका सिंह

    युवा कवयित्री।एक नवगीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के दिन’।शिक्षा विभाग उत्तर प्रदेश में कार्यरत।साहित्यिक पत्रिका ‘अंतर्नाद’ का संपादन। सुन ओ नदी री बावरीक्यों थमी ठहरीपाप धोए और तन भीजब यहाँ तूने कोख सींची हँस धरा कीदूर तक बहकरऔर मरुथल भी संवारेरेत पर चलकर...